This poem will remind you of a beautiful terrace and the luminous thoughts that still lurk in that calming solitude. Some terraces were our friends. Talk to the sky and ask for answers you knew already .. We have all had that one such terrace ..
A flawless poem written By Aanchal Unnati.
सिल्वर लाइनिंग
छत पर बैठी वो चुपचाप
हर शाम आसमान से कुछ कहती
अपनी ख़्वाहिशों के लिए
आसमान से गुज़ारिश करती
फिर ख़ुद ही मुस्कुराकर कहती,
“मेरी बात सुन भी पाते हो..
समझ भी पाते हो? या फिर
मैं यूँ ही बड़बड़ाकर चली जाती हूँ?”
सुनता तो था आसमान
पर ना जाने क्यों ख़ामोश रहता !
वो रूठ जाती और पलटकर जाते हुए
इक बार मुड़कर देखती,
दूर कहीं
एक पतली
हल्की
उजली सी
रौशनी दिखाई देती ।
सुना है, अभी कुछ दिनों पहले ही ‘सिल्वर लाइनिंग’ के बारे में पढ़ा है उसने !
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अच्छा प्रयास और बेहतर लिखें।