Rahul is a wonderful story-teller. The best thing about this story is the narration. The way he moves between flamboyant and understated styles, makes it an engaging read. This story will stay with you for a long time.
Anuradha
Story Title: रचना
Name: राहुल @rahulshabd
मानव तस्करी के बारे में सोचते सोचते इस किस्से ने जन्म लिया।
कई मर्द उससे मुहब्बत का इज़हार कर चुके थे
कईयों ने तो उसे शादी के सपने भी दिखाए थे
पर कुछ ठोकरों के बाद वो समझ गयी थी
के ये लोग बस उसके
गुलाबी होंठ, बड़ी बड़ी आंखें
कसे हुआ जिस्म और आकर्षक व्यक्तित्व
को ही देख सकते हैं।
पर उस खूबसूरत और मादक जिस्म के भीतर
जो खंडहर था जज्बातों का, जो मलबा था रूह का,
उस तक किसी की नज़र नहीं पहुंच सकती।
रचना ये ही नाम था उसका जिससे उसकी पहचान थी
असल नाम उसे याद था पर वो याद रखना नहीं चाहती थी।
शायद ८ बरस के आस पास की रही थी जब भीकू उसे
खरीद के ले आया था उसके बाप से।
बचपन की यादें धुंधली पड़ गयी थी बस उन यादों में
जो दो चेहरे साफ साफ दिखाई देते थे वो उसके
मां-बाप के ही थे, जिसे वो हमेशा के लिए
मिटा देना चाहती थी।
भीकू अधेड़ उम्र का था पेशे से दलाल। बाल पक गए थे उसके
पर मजाल है किसी ने उनकी सफेदी देखी हो, हमेशा टिप-टाप दिखता था साफ़ कपड़े पहनता था
उसे अपनी कमीज़ पर एक दाग़ भी पसंद न था।
ये और बात है के चरित्र पर बस दाग ही दाग थे।
दलाली वो कई लड़कियों की करता था पर रचना उसकी खास थी ..
खास होने की एक वजह ये भी थी की वो सबसे
ज़्यादा ग्राहकी लाती थी
दूसरी यह कि वो उस पर पूरी तरह से लट्टू था।
एक दिन राजेश नाम का जवान सा लड़का उम्र करीब
१८-१९ की रही होगी भीकू के पास आया और
बोला
“मुझे लड़की चाहिए “
भीकू ने सर पर हाथ फेरा, और मुस्कुरा कर बोला
“वो बच्चों के लिए नही होतीं, जा बच्चे स्कूल जा”
राजेश ने चिड़कर उंची आवाज़ में बोला
“मै बच्चा नहीं हूं।
बाकी तुम किमत बोलो बस “
भीकू ने ठहाका लगाया ज़ोर का और बोला
” चल भइये जैसी तेरी मर्जी
1 हज़ार का महात्मा निकाल फटाफट और
चल मेरे साथ।”
राजेश ने पैसे दिए और उसके पीछे-पीछे
चलने लगा।
एक खोली के अंदर कमरों की भूलभुलैया से होते हुए
दोनो एक कमरे के बाहर आ रुके।
भीकू बोला भईये आ गयी तुम्हारी मंजिल
भीकू ने दरवाजे पर हाथ मारा और बोला
बोनी का टाइम हो गया दरवाजा खोलो
और चल दिया वहाँ से,
रचना ने गेट खोला और राजेश को अंदर बुलाया
अपनी सुडौल कमर पर हांथ रखकर बोली
साले इतनी छोटी उमर मे ही ऐसे शौक पाल लिए
किस स्कूल में पढता है रे।?
राजेश चिल्लाया।।।
“ओ मेरी टीचर मत बन, जो काम
है तेरा वो ही कर। “
रचना कपड़े उतार ही रही थी की गेट पर
फिर ठक ठक हुई उसने किवाड़ खोले तो
कुछ पल के लिए ठिठक गयी, ठंडी सी पड़ गयी लगा
जैसे जान निकल गयी हो उस पल।
सामने एक बुजुर्ग आदमी था उसने रचना को धक्का
दिया और राजेश को पीटने लगा।
राजेश उसके सामने गिड़गिड़ाने लगा और रोते – रोते माफी मांगने लगा
“बोला अब नहीं आऊंगा कभी माफ कर दो पापा।”
वो आदमी उसे मारते मारते उस खोली से ले गया..
रचना चुप ही रही बस उसकी आँखों से आँसू
बहने लगे
वो बिस्तर पर गिर पड़ी
और
बर्राती रही…..
वो मेरा भाई था
वो मेरा भाई था।…….
Illustration Credits : Minal Dusane-Mali Yomy Designs
कमाल का लिखा है
और इसका अंत इस कहानी को
नए धरातल पर ले गया और समाज के लिए
कई सवाल छोड़ गया।
मुबारक हो
ऐसे ही लिखते रहें।
-सौरव
इन्शानियत को झखझोरती एक मार्मिक रचना।
Sach likhna itna aasaan nhi hota. But you have the strength to do it. Congratulations for this brilliant RACHNA… Keep writing…
Sach likhna itna aasan ni hota. But you have the strength to do it. Congratulations for such a beautiful RACHNA…
Bebaak likhte rahein.
Sach likhna mushkil hota hai. But you really have the strength to do it. Congratulations for such a brilliant RACHNA.
Bebaak likhte rahein. 🙂
Speechless, Spellbound
Speechless, Spellbound.
शुक्रिया प्रयास को सराहने के लिए…
#Rahulshabd