Dear readers ..
We have worked really hard to put these stories on the tab for you. If you like a story, mention a few words of encouragement to the writer and tag us.
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विज्ञापन by Mohammad Rizwan
@Rizwan1149
{Appreciated By Guest Editor}
अशोक मित्तल, शहर में बन रही एक नामी हाऊसिंग सोसाईटी के विज्ञापन के लिए फोटो शूटिंग कर के आए थे।
वह आफिस में बता रहे थे कि एक अच्छे “पेनोरामिक व्यू” कि तलाश में किस तरह वह साईट् के सबसे पीछे कांटो कि फेन्सिंग तक चले गए थे। जहाँ उधर काम करने वाले मज़दूरों कि कुछ झोंपड़ियां थीं।
तभी किसी ने आवाज़ दी, अरे अशोक ! यह देखो कुछ वैसी ही मुस्कान जो सरकारी विज्ञापनों में कमज़ोर और उपेक्षित वर्ग के लोगों के चेहरों पर नज़र आती है।
हाँ यार, अपने मिड डे मील वाले सरकारी विज्ञापन के लिए एकदम परफैक्ट है..
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खुशखबरी By Aditya Jha
@_adityajha
मुन्नी उस दीवार पर देख, आज मुझे कचरे में एक आधी फटी पतंग मिली और उसे मैंने वहीँ फेंके हुए बासी चावल और अखबार के उस पन्ने से चिपका कर लाया हूं जिस में एक बच्ची स्कूल को जा रही है, ये ले पतंग उड़ा. और हां, खुशखबरी तो सुन, मुझे कल से सुबह अखबार बेचने का काम मिल गया है, अब तू भी उस बच्ची की तरह जल्द ही स्कूल जाएगी. भैया, आज मुझे कचरे में एक दस का सिक्का मिला, ये रख लो काम आएंगे.
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रिश्तों के रंग By Shikha Saxena
@shikhasaxena191
{Appreciated By Guest Editor}
तेरा भाई आएगा होली में ..
सच माँ ..छुटकी की खुशी का ठिकाना न रहा.. और भाभी ..कहते-कहते जीभ काट ली
रिश्ते कितने बदल जाते हैं ..कौशल्या ने सोचा ..पति के बाद बहुत मुश्किल से पाला था उसने..जान थे भाई-बहन एक-दूसरे की
माँ देखो ये तस्वीर जब भैया बाॅब द बिल्डर वाली शर्ट के लिए जिद किए थे
और तूने रंग डाल दिया था
हाँ कैसा मुँह बनाया था ..मेरी हँसी ही नही रूक रही थी
अरे माँ भैया की गाड़ी !!! रूके क्यों नही ??
उसने कहा था पहले बहू के घर जाएगा उसकी बहने इंतज़ार कर रही होगीं
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बड़ी बहन By Pankaj Rawat
@rawatpankaj
दीपू शांती से एक साल छोटा था, लेकिन जिंदगी के थपेड़ों ने उसे उम्र से पहले बड़ा कर दिया। बाहर की
दुनिया के लिए वो शांती का बड़ा भाई था, उसके हर सुख-दुख का ख़याल रखने वाला।
माँ-बाप की सड़क पर काम करते हुए मौत हो गयी थी। शांती पर काफी लोगों की नज़र थी, मगर दीपू दिवार बनकर खड़ा था उसके और दुनिया के बीच में।
आज भी जब दोनों खाना खा रहे थे तो मंगल आया था, लेकिन दीपू ने हाथ में खुखरी उठाकर शोर मचा दिया। और उसको भागता देख शान्ति मुस्करा उठी।
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लार्जर दैन लाइफ़ By Ajay Purohit
@Ajaythetwit
{Appreciated By Guest Editor}
प्रतिभा हतप्रभ थी नन्हे लड़के की बात सुन ।
मुम्बई का ये रूप अब तक फ़िल्मों में ही देखा था । वह बरेली से मुम्बई आयी थी, जर्नलिस्ट की पोस्ट पर ।ट्राफिक सिग्नल पर ज्यों ही उसने इस बच्चे को अख़बार बेचते देखा, टैक्सी को रुकवाया ।
“अपुन की सिस्टर मीना, पढ़ने को जाती । अपुन कमाता…क्या ! बोले तो डॉक्टर बनाने का इसको ! वो बुढ़िया उधर खोली में, बर्तन बेचती कपड़ा ले कर, माँ जैसी, …क्या ! उससे इच टी-शर्ट लियेला है, लगता ना हीरो के माफ़िक़ ! गुड़िया, मैडम को चाय, अपुन चलता, धंधे का टाईम’
प्रतिभा को पहली कहानी मिल चुकी थी ।
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क़ैदी और जैलर By Fayaz Girach
@shayrana
“ये कौन है, जो हमको दूर से देख रहा है…?
इधर…..कभी उधर….आगे….कभी पीछे। कर क्या रहा है।???”
छोटू मीठी गोली चूसते हुए सोच रहा था।
छोटी सूखी रोटी खाते हुए, छोटू को देख मुस्कुराती रही।
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राहुल भी बचपन को अपने पिंजरे में लेकर चला आया ।
धो कर सुखा भी दिया, अँधेरे कमरे में।
नेगेटिव भी निकाला।
राहुल को और उन दोनों को,
कहा पता था, इस पर कहानियाँ लिखी जाएँगी ।
ये फ़ोटो ट्विटर पे जायेगी।
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बचपन की मासूमियत को तस्वीर में ख़ूबसूरत क़ैदी बनाकर अजर-अमर कर दिया गया।
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आज से मैं छोटू नहीं By Vishal Kumar
@rafiology
{Appreciated By Guest Editor} {Aaj Sirhaane Distinction}
“परी तुम स्कूल नहीं गयी” .. पत्थर तोड़ते हुए छोटू ने परी से पूछा ।
“न आज सन्डे है .. टॉफ़ी खाओगे”
“क्या सिखाते है इस्कूल में” छोटू ने टॉफ़ी खाते खाते पूछा..
“मुझे अंग्रेजी पढ़नी आ गयी है और ये तुम्हारे कपड़ों पर भी अंग्रेजी है”
“बता फिर क्या लिखा है “
“बी ओ बी – बॉब .. टी एच इ – दी .. बी यू आई एल डी इ आर – बिलडर
इसका मतलब बॉब – बिल्डिंग बनाने वाला ।“
“अच्छा? तो फिर आज से मैं छोटू नहीं बाबा .. बिल्डिंग वाला बाबा”
परी जोर से हंस पड़ी ..
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वोह बच्चें थे by Hetaxi Maheshwari
@hetaxi1999
देख .. आज प्रसाद भी लाया और धागा भी ..
– वाह .. तिलक में आप बिलकुल वीर लग रहे हैं ।
– पर हूँ तो .. खैर.. उ साब जी के जूते संभाले है ना ?
– हाँ .. साब जी आ जाए तो हम चले, कहीं गार्ड ना आ जाए ।
– आ जाएंगे, अगर वह ना होते तो मैं छिप कर अंदर कैसे जाता ..
– ह्म्म्म .. हमें तो यहां खडे भी न रहने देते.. खैर .. आज मंदिर के बाहर क्या लिख रहे हैं ?
– स..वॅधर्म स….. गार्ड आ गया भा…ग…
जूते वहीं खडे थे .. जाती का प्रमाणपत्र बने ..!!
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ठेकेदार By Mohammad Rizwan
@Rizwan1149
{Photographer’s Pick} {Aaj Sirhaane Distinction} {Appreciated By Guest Editor}
“मधु, मास्टर जी आए गए हैं, जल्दी खाना ख़त्म करो … राजू, पढ़ने बैठो”
“देखना .. अब यह भाग जाएगा पढ़ने के नाम से” मधु ने चुट्की ली।
“मेरा क्या ले जाएगा… इसी के काम आएगी पढ़ाई लिखाई… नहीं तो बनेगा मजदूर मेरी तरह”
तभी मोबाइल बजा, ” ठेकेदार साब .. अभी पहुँचता हूँ.. नहीं साब हाजरी मत काटिए..” राजू ने अपने पिता को बडबडाते हुए सुना..
“मैं तो ‘ठेकेदार’ बनूंगा” कहते हुए राजू छलांग लगाकर बाहर भाग गया..
कुछ बच्चों के सपने भी शायद खानदानी पेशे कि क़ैद में होते हैं।
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ख़ुशी By Navneet Mishra
@micromishra
सुबह उठते ही भोजन तलाशने लग जाना और रात होते प्राय: भूखे सो जाना ही इनकी नियति है। कपड़े जो मिल जाएँ, सिर पर छत नहीं, स्कूल का पता नहीं; यही जीवन है। इन्सानों की भीड़ में इन्सान बनने से रह गए।
“छोटू देख ये क्या है!”
“अरेऽऽ! बड़ी मस्त ख़ुशबू है। कहाँ से मिला?”
“कुत्ता ले के भाग रहा था मैंने ढेला मारकर छीन लिया”
पॉलीथीन का पैकेट खोल दोनों अधीर होकर खाने लगे; इस बात से बेख़बर कि वे बीमार पड़ सकते हैं या जान भी गँवा सकते हैं। डर से अधिक भूख पर विजय पाने की ख़ुशी थी।
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जन्मदिन by Aruna P Khot
@arunapk57
{Aaj Sirhaane Distinction}
दो बच्चों को कूड़े के ढेर से केक और कुछ टोपियां उठाते हुए अविजित ने देखा तो कार किनारे खड़ी की। दोनों ने टूटी टोपी पहन कर केक के टुकड़े को काटा। बच्चे बहुत ही खुश थे। अविजित की आँखें भर आई और उसे विचार आया। अब महीने के किसी भी इतवार को अविजित दोस्तों को लेकर निकलता और किन्ही दो बच्चों का जन्मदिन मनाता है। आज अविजित और उसके दोस्त उसी जगह है और उन्ही दो बच्चों का जन्मदिन मनाया है। पूरा केक दोनों ने काटा और जी भर के खाया। बच्चों की आँखों की चमक देखते बनती है।
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कँटीली तार By Vishal Gupta
@vehlavishal
{Appreciated By Guest Editor}
बादल, धुप , शाम और सर्दी की दस्तक देते उस मौसम को ग्रहण लगा रही थी तो बस वो कँटीली तार जो उन बेकसूरो को जेल और बाहरी ज़िन्दगी का फर्क बताती थी
बिल्लू गुस्सा तो था तो पर सब समझता था, पर रानी इस सब से अंजान, इस जेल को ही अपना घर मान बैठी थी
दूर बैठी माँ भी सोच रही थी कि उसने उनके बाप को मार कर सही किया या गलत।
काश उस दिन उनके बाप ने इंसानियत की कँटीली तार को फांद कर उसकी बहन की इज़्ज़त पर हाथ डालने की कोशिश ना की होती
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मुफ़्त का खाना Mohammed Kausen
@mohdkausen
{Photographer’s Pick} {Aaj Sirhaane Distinction}
(दोपहर का समय सरकारी स्कूल)
“भैया जी हमारा फ़ोटो खींच कर क्या करोगें ?”
“उस पर कहानी लिखूँगा।”
“सच ! मुझे कहानी में मास्टरनी बनाना।”
लड़की ने चहकते हुए कहा।
“और मुझे डॉक्टर ।” लड़के ने कैमरे को ताड़ते
हुए कहा।
“ठीक है।”
“पर हमें पता कैसे चलेगा तुमने हमारी कहानी लिखी है।”
“तुम पढ़ लेना ।”
“हमें तो पढ़ना ही नही आता।”
“स्कूल में पढना नही सिखाते ?”
“पता नही।”
“तो तुम स्कूल आते क्यों हो ?”
“यहाँ दोपहर का खाना मुफ़्त मिलता है। इसलिए आते है। वरना हम तो चाय की दुकान पर काम करते है।”
लड़की ने सब्ज़ी में सनी उंगलियां चाटते हुए कहा।
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भाग्य-रेखा Ankita Chauhan ♠♣♥♦
@_ankitachauhan
{Top Story Of The Week}
“सेब..?”
“ग़लत”
“मीठी…रेबड़ी?”
“आज बर्फी है.. वो भी दो-दो”
“तो क्या आज भी मंगलवार है ?”
“नहीं आज मंगलवार का छोटा भाई है….बुधवार”
“ भैया, मुझे शनिवार नहीं पंसद..वो सब तेल क्यूँ चढ़ाते हैं? भगवान क्या तेल खाते है?”
“भगवान तो बर्फी भी नहीं खाते”
“धीरे बोलो उन्हें पता लगा तो कल से चढ़ाना बंद कर देंगे”
“नहीं करेगे… पंडित जी ने आज खूब हाथ टटोले हैं”
“मुझसे तो वो बोले तेरे हाथ में कोई भाग-रेखा नहीं है”
“ये क्या खड़ा तेरे सामने इत्ता बड़ा…देख मुझे उपर से नीचे तक भाग-ही-भाग है…चल तुझे गन्ने का जूस पिलाऊँ…आजा..!”
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ताज़े फ़ूल Mohammed Kausen
@mohdkausen
“ले लो साहब .. एकदम ताज़े फूल है “
“अच्छा दे दो।”
उसके चेहरे पर फूल सी मुस्कुराहट आ गई।
“पढ़ते नही ?”
“टाइम ही नही मिलता।” हँसकर कहा।
“पापा क्या करते है ?”
“नही है।”
“और माँ”
“घरो में झाड़ू-पोछा करती है।”
“पढ़ने को दिल नही करता ?”
“करता है साहब पर दिल की सुने या पेट की।”
उसने हँसते हुए कहा।
“तुम हर बात पर हँसते क्यों हो?”
“क्योंकि इसमें पैसे नही लगते।” मुस्कुराकर कहा।
आज समझ आया कि मेरे चेहरे पर ऐसी फ़ूल सी ताज़ी निच्छल मुस्कान क्यों नही आती ।
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बॉब द बिल्डर By Ajay Purohit
@Ajaythetwit
{Aaj Sirhaane Distinction}
मज़दूर बच्चों पर जा टिकती जो कभी माँ का हाथ बँटाते तो कभी खेलने लगते… !
समय गुज़रा व घर बन कर तैयार हुआ ।
कॉन्ट्रेक्टर ने रिंकू के पिता को चाबी दी । बदले में उन्होंने अदा की, बकाया रक़म । रिंकू को बुरा लगा कि जिन दो बच्चों ने घर बनाया, उन्हें कुछ ना मिला । उसके लिये तो वे ही थे – ‘बॉब द बिल्डर्स’ !
उससे रहा ना गया । अल्मारी से खिलोने, कपडे और कुछ किताबें निकाल, वह उनकी ओर दौड़ पड़ा !
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जन्मस्थान By Prem Dilzada
@prem_dilzada
मेरा खूसट बॉस: “ज़बरदस्त तस्वीर लाओ .. कोई सनसनाती हुई कहानी ”
स्टूडियो से निकल कर मैदान में झांकते हुए बच्चों को आवाज़ देकर मैंने तस्वीर खींची… सोचा गरीबी अच्छा विषय है.
“बेटा, अपनी गरीबी का जिम्मेवार किसे मानते हो”.
“आप जैसे सब लोगो को ..जो ये बेहूदा सवाल पूछते है”.
“तुम्हे इतनी समझ कैसे?”
“भैया जी, झुग्गी वाले है, समझ साथ लेकर पैदा होते है.”
मैं, रिपोर्टर, अपना सा मुँह लेकर रह गया.
ये स्टोरी करने पर बॉस से डांट पड़ी सो अलग .. बोला “तुम्हे कुछ समझ क्यों नहीं आता?”
मन तो किया बोल दूँ “मेरा जन्मस्थान दिल्ली है, झुग्गी नहीं”.
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समर्पण By Siddhant
@Siddhant01
“हीहीही… भैया, आपका ये वाला फोटो मुझे बेहद पसंद है .. मुँह फुला “
“अरे ये कहाँ मिल गया तुझे ?”
“भैया, आप अपनी सारी चीज़ें मुझे दे देते थे.. उस दिन वो लड्डू भी ..
“तू लड्डू में खुश, मैं अपनी लाडो को खुश देख के खुश”
– भैया, सुनो न ..
“हम्म शरमा रही है .. क्या नाम है उसका ”
“समीर .. भैया वो भी मेरी खुशी का आप जैसा ही ख्याल रखता है “
“ठीक है, बुला लो उसे घर .. लेकिन कह देना… तेरे भैया उसे अपनी जिंदगी दे रहें है…”
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NOTES FROM GUEST EDITOR @kuhu_bole
NOTES FROM PHOTOGRAPHER @chilled yogi :
NOTES FROM AAJ SIRHAANE TEAM
This time a shining star for all the writers.. You have raised your own bar in writing, dialogues, presentation and most importantly the communication to the reader. It is delight to know all of you were paying attention in the classroom.
We are sorry we had return a few stories as they were not in right format or over the limit in words. Afsos rahega ..
Do keep discussing various topics of story -writing with us @aajsirhaane. Questions, feedback, share links – all welcome.
राहुल जी का बहुत बहुत धन्यवाद कोशिश को सराहने के लिए, @kuhu_bole का बहुत आभार, और आज सिरहाने में असल मेहनत तो अनु जी कि है वह मुबारकबाद कि ज़ादा मुस्तहक हैं।
एक बार फिर बेहतरीन कहानियां पढ़ने को मिलीं।
मुझे ‘भाग्य रेखा’ ‘मुफ़्त का खाना’ और ‘जन्मदिन’ बहुत पसंद आयीं।
आज सिरहाने मंडली को बहुत बहुत मुबारकबाद।
Thank you 🙂
thnx rizwan bhai..
कुछ प्रभावी कहानियाँ, जिनपे दो शब्द लिखने की गुस्ताख़ी कर रहा हु :))
“आज से मैं छोटू नहीं” : एक मीठी सी मुस्कान दे जाती है…
“ठेकेदार” : अंतिम लाइन बेहद प्रभावी लगी, तस्वीर से जुड़ी कहानी…
“मुफ़्त का खाना” : सरल भाषा में प्रस्तुत गम्भीर मुद्दा…
“कंटीले तार” : सवेन्दनशील कहानी, पर फ़ोटो से जुड़ाव नही
“लार्जर धैन लाइफ” : एक ही डायलॉग में पूरी कहानी कह दी, अच्छा था, लड़के के हाव भाव का बखूबी वर्णन
“रिश्तों के रंग” : प्रस्तुति खुबसूरत, अंतिम लाइन में आता मोड़ इन्हें रोचक बनाता है
सभी लेखको को बधाई 🙂
कुहु मेम, राहुल भाई और टीम आज सिरहाने,आपका फिर एक दफ़ा शुक्रिया 🙂
कुश, मज़ा आ गया तुम्हारी इस अदा पर । सभी कहानियों के बारीकी से देखा व अपने valuable comments दिये । धन्यवाद !
thnx for nice comments kush..:)
बहुत शुक्रिया |
आगे भी कोशिश रहेगी मुस्कान बनी रहे |
I liked Muft ka khana by @mohdkausen story is relevant with the pic.
सभी कहानियाँ सराहनीय हैं । इनमें से मुझे अंकिता की ‘भाग्य-रेखा’ व मोहम्मद की ‘ताज़े फ़ूल’ श्रेष्ठतर लगीं । मुझे आशा है कि हम अपने इस प्रयास को ज़ारी रखेंगे व निरंतर अच्छा लिखने की ललक को बनाये रखेंगे ।
जिन्हें मेरी लिखी कहानियाँ पसंद आयी उन्हें धन्यवाद ।
अनु जी व कुहु जी का आभार प्रकट करना चाहूँगा, हम सभी की ओर से ।
Again a splendid performance… Everyone wrote in their own style wich show how many varied interpretations cud b thr for a single cue… N aaj sirhane made it possible for all these talented authors to come up n participate… Kudos to all!
Unexpected था.. स्टोरी सब्मिट करते वक़्त टीम को लिख दिया था अगर आज सिरहाने के मानक पर सही ना उतरे तो पोस्ट मत किजिएगा।
रजनी जी का दिल से शुक्रिया… अपना कीमती वक़्त हम लोगों को दे देने के लिए.. जो लिखना भले ना जानते हो लेकिन सीखना चाहते हैं।
सब अपने लिए कोशिश करते है लेकिन अनु दी ने आज सिरहाने की नींव रखकर सबको अपने सिरहाने जागती आँखों से ख्वाब देना सिखा दिया। बेहद शुक्रिया !
मुझे बाब द बिल्डर – पुरोहित जी और आज से मैं छोटू नहीं बेहद पंसद आयी!
कीप शाईनिंग टीम 🙂