आसमान से धरती की तरफ पलटती बूँदें हो या किसी नल से टपकती .. इक संगीत होता है पानी की बूंदों में ।
आज विश्व जल दिवस है .. यह दिन है जल के महत्व को जानने का.. जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन की कल्पना अधूरी है। मेरी भी कोशिश है की कुछ गीतों के जड़त्व तक जाकर, शायद मैं पानी की बूँदों के महत्व को समझा पाऊँ ।
सबसे पहले मुझे फिल्म ‘शोर’ का ये गीत याद आता है ..
इस दुनिया में जीने वाले ऐसे भी हैं जीते..
रूखी-सुखी खाते हैं और ठंडा पानी पीते ..
तेरे एक ही घूँट में मिलता जन्नत का आराम..
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा..
भूखे की भूख और प्यास जैसा..
Link: PAANI RE PAANI RE
अक्सर बारिशों का ख़याल प्रेम की तरफ खीँच ले जाता है पर लोग लोग पानी के महत्व को प्रेम नहीं दे पाते ।
प्रेम और पानी की बात पर याद आता है मुझे ये गाना ..
“चलो और दुनियाँ बसायेंगे हम तुम
ये जन्मों का नाता, निभायेंगे हम तुम
मेघा रे मेघा रे, दे तू हमको दुआ रे
आज तू प्रेम का संदेस बरसा रे ।
Link: MEGHA RE MEGHA RE
अगर पानी को “माँ”का दर्जा दूँ , तो किसान “बेटा” है । ये गाना इसी माँ बेटे के रिश्ते की गहराई तक ले जाता है ।
“रस अगर बरसेगा ,कौन फिर तरसेगा
कोयलिया गायेगी बैठी मुंडेरों पर
जो पंछी गायेंगे,नये दिन आयेंगे
उजाले मुस्कुरा देंगे अंधेरों पर “
Link: GHANAN GHANAN
अगर पानी की बात निकली हो तो गुलज़ार साहब की कलम से निकले इन शब्दों को कोई कैसे भूल सकता है ।
पानी पानी इन पहाड़ों की ढलानों से उतर जाना
धुआं धुआं कुछ वादियाँ भी आएँगी गुज़र जाना
इक गाँव आएगा मेरा घर आएगा
जा मेरे घर जा
नींदें खाली कर जा..
Link: PAANI PAANI RE
इन चार गानों को सुन समझ जाइए की की बिन पानी सब सून । आखिर में गाने की जगह ये दोहा जो पानी का तीन मतलब समझाता है ।
“रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून “
पानी का पहला अर्थ विनम्रता से है । दूसरा आभा या तेज और तीसरा जल । मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी (विनम्रता) रखना चाहिए जिसके बिना उसका मूल्यह्रास होता है।
खुबसूरत 🙂
आपकी शुरुआत जो पानी और संगीत का रिश्ता बताती है वो पसन्द आई, btw मुझे पानी से तालुक्कात रखने वाला श्रेया जी का एक गाना और याद आता है “बरसो रे मेघा मेघा” (गुरु), पानी की बुँदे जिंदादिली की प्रतीक बन के उभरती है इस गाने में…
शुक्रिया आपका इस खुबसूरत नजराने के लिए 🙂
thanks . pyaar banaye rakhiye