Roshni कविता : अब तुम कहाँ हो मेरे वृक्ष : हिमांशु Posted by AS on May 28, 2016July 8, 2016 Share this:Click to email this to a friend (Opens in new window)Click to share on Twitter (Opens in new window)Click to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on WhatsApp (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Like this:Like Loading... Related
Best I read on Roshini.. brilliantly written..
A poem becomes ‘the best’ when ‘the best’ comes to read and appreciate.
Thanks.
बहुत अच्छे सर। क्या खूब कविता कही है। मन की बात के साथ साथ बेहतरीन सन्देश। बस इक बात पूछनी थी ‘किसलय’ का अर्थ बता दीजिये। _/\_
धन्यवाद! ‘किसलय’ पेड़ों की नयी कोमल पत्तियां होती है, हल्की गुलाबी आभा लिए। किसलय नयी आशा है, नयेपन का सन्देश है।
बहुत खूब सर। बहुत खूबसूरती से अपने मन के विचारों को व्यायक्तकिया एवं बेहतरीं सन्देश भी दिया। एक ज़रा किस्मय का अर्थ बतला दीजिए। _/\_
अद्भुत लेखनी
बहुत धन्यवाद।
उन्नत स्तर का लेखन। स्वागत है।तथापि प्रथम खंड ही पर्याप्त है। काव्य सीमित में सब कहने की विधा है।
आपने सराहा, थोडा उचक गया हूँ।
आभास था तनिक कि अतिरेकी कुछ भी कविता को निर्बल बनाएगा, पर मेरे कच्चेपन का परिणाम है वह।
आभार।
उन्नत स्तर का लेखन। स्वागत है। तथापि प्रथम खंड ही पर्याप्त था।
वाह खूबसूरत…. शानदार।
इस उत्कृष्ट कविता के लिए बधाई।
पढ़ने के लिए धन्यवाद।