अजय सर की कहानियाँ पढ़ने के लिए तो मैं हमेशा बेचैन रहती हूँ और वो हमेशा एक नया एंगल धुंध लाते हैं.. आप जितनी अच्छी कहानी लिखते हैं उतनी ही अच्छी स्क्रिप्ट भी लिखते हैं
मैं राजीव जी से पूर्णतया: सहमत हूँ । अथक प्रयास के बावजूद इस रचना से मुझे अंत तक एक satisfaction नहीं मिल पाया । मैंने इसे ३ बार लिखा, पहले एक कहानी के रूप में, दूसरी बार एक नाटक में परिवर्तित कर व तीसरी बार उसे edit कर के । शायद मूल कथा कहीं विलुप्त हो गयी इन सभी प्रयासों में । ये एक मेरे निजी experience से प्रेरित कहानी है ।
Thanks for supporting & including this. There’s always next time as far as winning is concerned.
Kudos to AS & Anu for bringing this project to us !
अजय सर की कहानियाँ पढ़ने के लिए तो मैं हमेशा बेचैन रहती हूँ और वो हमेशा एक नया एंगल धुंध लाते हैं.. आप जितनी अच्छी कहानी लिखते हैं उतनी ही अच्छी स्क्रिप्ट भी लिखते हैं
Thanks Supriya !
मैं राजीव जी से पूर्णतया: सहमत हूँ । अथक प्रयास के बावजूद इस रचना से मुझे अंत तक एक satisfaction नहीं मिल पाया । मैंने इसे ३ बार लिखा, पहले एक कहानी के रूप में, दूसरी बार एक नाटक में परिवर्तित कर व तीसरी बार उसे edit कर के । शायद मूल कथा कहीं विलुप्त हो गयी इन सभी प्रयासों में । ये एक मेरे निजी experience से प्रेरित कहानी है ।
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Kudos to AS & Anu for bringing this project to us !
अजय जी आपको पढ़ना हमेशा से ही बेहद सुखद रहा है। इस बार भी दिल को छू लेने वाली रचना है आपकी। ऐसेही प्रेरित करते रहिए।