सुप्रिया आप की कविता बहुत ही नाजुक और मखमली सी लगी मुझे। इसमें एक औरत के बहुत ही छोटे छोटे से ख़्वाबो और एहसासों की झलक है। ऐसे ख़्वाब जो ख़्वाब ही रह जाते है। बहुत गहराई और मर्म है इस नज्म में। कुछ लफ्ज़ जैसे कि दीदनी (Visible,दिखाई), तहय्युर (Amazement ,विस्मय या आश्चर्य) शुद्ध उर्दू के है। और उनका का बहुत अच्छे से इस्तेमाल किया है। आप के ख़्वाबो की मशीन आप को जरूर मिलेगी।
Bahut hi khoobsurat andaaz wali kavita, Supriya…jitni tareef kari jaaye utni kam hai!! Hope all your dreams get fulfilled!! And what a lovely intro by Preet!! Awesome, it has added extra flavour to the poetry along with the painting by Nirmal…
उफफ कमाल लिखा है!!! तहे दिल से शुक्र-गुज़ार हुँ आजसिरहाने की जो ये पढ़ने का मौका मिला। सुपी आपकी लेखनी पढ़ कर दिल से यही आवाज़ आती है कि ये तो मैंने केहना था…..
वाह , खूबसूरत लेखनी
वाह सुप्रिया क्या ख्वाहिश है आपकी, काश हम सभी को ये मशीन मिल जाती। खूबसूरत पेंटिंग, इंट्रो as usual जबर्दस्त
Anshu…thanks buddy! You always encourage me 🙂
सुप्रिया आप की कविता बहुत ही नाजुक और मखमली सी लगी मुझे। इसमें एक औरत के बहुत ही छोटे छोटे से ख़्वाबो और एहसासों की झलक है। ऐसे ख़्वाब जो ख़्वाब ही रह जाते है। बहुत गहराई और मर्म है इस नज्म में। कुछ लफ्ज़ जैसे कि दीदनी (Visible,दिखाई), तहय्युर (Amazement ,विस्मय या आश्चर्य) शुद्ध उर्दू के है। और उनका का बहुत अच्छे से इस्तेमाल किया है। आप के ख़्वाबो की मशीन आप को जरूर मिलेगी।
निर्मल की पेंटिंग और प्रीत की भूमिका भी एक कविता से कम नही (भले ही समझने के लिए मुझे गूगल ट्रांसलेट का सहारा लेना पड़ा 🙂
Kausenji.. yeh saazish thi aapko Google se milwaane ki. Unka paigaam aaya tha bahut din se aap unse mile nahin :))
:)))))
Bahut hi khoobsurat andaaz wali kavita, Supriya…jitni tareef kari jaaye utni kam hai!! Hope all your dreams get fulfilled!! And what a lovely intro by Preet!! Awesome, it has added extra flavour to the poetry along with the painting by Nirmal…
Thanks a ton Ritu !!
मेरी नज़्म को पसंद करने के लिए आप सब का तह-ए-दिल से शुक्रिया.. दुआ है के हम सब के सारे ख़्वाब हक़ीक़त में तब्दील हों।
उफफ कमाल लिखा है!!! तहे दिल से शुक्र-गुज़ार हुँ आजसिरहाने की जो ये पढ़ने का मौका मिला। सुपी आपकी लेखनी पढ़ कर दिल से यही आवाज़ आती है कि ये तो मैंने केहना था…..