फ़िल्म – वाइट शर्ट
लेखक एवं निर्देशक – सुमित अरोड़ा
मुख्य कलाकार – कृतिका कामरा (वाणी); कुणाल कपूर (अविक)
भिन्न वस्तुओं या विचारों में समानता बैठाना सरल नहीं; पर यदि ये अनैलॉजी बैठ जाए तो लेखन का ज़ायक़ा बढ़ जाता है। सफ़ेद क़मीज़ और एक रूमानी रिश्ते के बीच ऐसी-ही समानता बैठाई है, लेखक सुमित अरोड़ा ने फ़िल्म वाइट शर्ट में।
कहानी के मुख्य किरदार वाणी और अविक एक दूसरे से प्रेम करते हैं, और लिव-इन रेलेशन्शिप में हैं। लेखक दोनों के बदलते रिश्ते को एक सफ़ेद क़मीज़ के ज़रिए बयान करता है।
रिश्ते अत्यधिक कोमल एवं “हाई मेंट्नेन्स” होते हैं ठीक एक सफ़ेद क़मीज़ की तरह। इनपर भी रोज़मर्रा की भाग-दौड़ का असर मैल के समान चढ़ता है। जब वाणी-अविक के रिश्ते पर भी अविक के दिए धोके का मैल चढ़ता है, तो जाते वक़्त अविक जानकार, एवं वाणी से जुड़े रहने की उम्मीद में, अपनी सफ़ेद क़मीज़, या अपना टूटता रिश्ता वाणी की अलमारी में छोड़ जाता है।
शर्ट को लौटाने की नाकाम कोशिश में वाणी ऐसे उससे दोबारा जुड़ती जाती है, जैसे इंसान टूटे हुए रिश्तों को बरबस संभाल कर रखता है, चाहे वे रिश्ते उस क़मीज़ की तरह बदबूदार ही क्यों न हो गए हों! क़मीज़ को वापस लेने में अविक की हिचकिचाहट भी उसके रिश्ते के प्रति भिन्न दृष्टिकोण को दर्शाती है।
फ़िल्म में फ़्लैश्बैक का इस्तेमाल किया है जो एक-दूसरे के प्रति दोनो किरदारों के झूलते-बदलते जज़्बातों को बख़ूबी दर्शाता है। इसके अलावा, यह टेक्नीक कम समय में अविक-वाणी के रिश्ते को सम्पूर्ण रूप से उभारती है। फ़िल्म का अंत इसके आकार के समान ही परिवर्तनवादी है। क़िस्सा वही, पर सोच नई!
आप भी ये फिल्म देखिये और कमेंट कीजिये .. https://www.youtube.com/watch?v=WiXHY4kX4SQ
– अनामिका पुरोहित
#आजसिरहाने के लिए
एकदम सटीक समीक्षा!! मूवी अंत मुझे सबसे ज्यादा प्रभावशाली लगा, आपकी समीक्षा पढ़ कर एक बार फिर से देखनी पड़ेगी अब!!
👍👍
बहुत धन्यवाद! और आपकी बात बिलकुल सही है, फ़िल्म का अंत रिश्तों के प्रति एक नई सोच की ओर ले जाता है। मुझे ख़ुशी है कि इस समीक्षा ने आपको फ़िल्म की दोबारा याद दिला दी। 🙏🏼