स्वलेख : जुलाई 2, 2017
मार्गदर्शक : अर्चना अग्रवाल
विषय : ओस
चयनित रचनाएं
1
Arun Kumar Srivastava @sudharun49
संसार का चित्रण
करने का सामर्थ्य है मुझमे,
कसीदे लिख सकता हूँ मैं तुमपे,
पर.. मेरी प्रतिभा अभिशप्त है.
मैं चाह कर भी खुद को तुम पर
व्यक्त नहीं कर पाता, लेकिन
अनेकों बार अभिव्यक्त होता हूँ मैं !
कभी अपनी चेष्टाओं में,कभी
अपनी भाव-भंगिमाओं में और
कभी अपने दीर्घ मौन में.
तुम जान ही नहीं पाती.
गौर से देखो, मुझे ‘स्पर्श’ करो,
कि.. किसी मखमल पर
‘ओस’ से लिखा हुआ ख़त हूँ मैं.
तुम्हारी उंगलियों में
वो जो नम-नम सा एहसास उतरेगा,
वो मैं ही तो हूँ !!
2
Ravi @fizoool
छम सी गिरी …और भीग गई …
सिरहाने मेरे ..एक ओस सी
3
Nirmal Saxena @thepallette

4
Shishir Somwanshi @shishirsom
काँपते पत्ते पर,
थमी सहमी,
ओस की अकिंचन,
बूँद का सा-
अपना यह संबंध
मुझसे नही है,
तुमसे है,
तुम्हारे होने से