स्वलेख : जुलाई 9, 2017
मार्गदर्शक : अनुराधा शर्मा
विषय : बारिश
चयनित रचनाएं
1.
Jagrati Mishra @Jagrati_mishra
रात के दूसरे पहर में बजती आहत-अनहद ध्वनियों से ठिठकती हृदय गति..
तड़कती, चमकती बिजली के बिखरे अस्तित्व से कंपकंपाते पत्ते..
और,
हवाओं की गति से स्वयं को बचाकर.. जलते रहने की, दीये की संकल्प-शक्ति..
कितना कुछ है इस रात के एक बरसाती पहर में…
किंतु मन के अवचेतन को शून्य ही दृश्य होता हो शायद
अन्यथा, इस हल्की-फुल्की वर्षा जनित आँधी में,
मेरे अंतर की गहन एकांतता..
निश्चित ही
किसी बूँद में मिल.. बह गयी होती !
2.
रातों के काले स्याह,
ये काले मेघ
ये धरती के तप्त भाव हैं
सागर पर सूरज का रोष
उनसे उठता हुआ उन्माद है
ये बहिष्कृत हुए हैं धरती से
प्रकृति के गुबार हैं
उड़ते हैं आसमान में आवारा
बिजली से तड़ित हैं
होता है क्षीण जब इनका आवेश
संघनित हो घर लौटने को
यही तब व्याकुल हो उठते हैं
धरती भी प्यार की प्यासी
इनका सत्कार करती है
आगोश में समाहित इन्हें करती है
तृप्त होते हैं और तृप्त करते हैं
हम इन्हें बारिश होना कहते हैं ।।
विशाल नभ में
Nice one